अनकही चाहत का सफर

“अनकही चाहत का सफ़र” एक सेंसुअल, स्लो बर्न और इमोशन से भरी कहानी है। जहाँ मुंबई की भीगी रातें सिर्फ़ शहर को नहीं, बल्कि दो अधूरे दिलों को भी भिगो देती हैं। कहानी शुरू होती है 21वीं मंज़िल के कांच से ढके स्काईलाइन ऑफिस से, जहाँ 29 वर्षीय अरबपति सीईओ विवान कपूर अपनी जीतों से भरी ज़िंदगी में भी एक अजीब सी खालीपन ढो रहा है। तभी उसकी दुनिया में कदम रखती है उसकी नई सेक्रेटरी अनन्या मल्होत्रा, जिसकी मासूम आँखें, परिपक्व आवाज़ और आत्मविश्वास भरा सादापन विवान की धड़कनों में अनकही हलचल पैदा कर देता है। उनकी पहली मुलाकात से ही कुछ ऐसा जन्म लेता है जो दोनों ने न चाहा था, न प्लान किया था। कैफ़े की हल्की-सी गर्म कॉफी से लेकर लिफ्ट की खामोशी तक हर पल में एक अनसुना आकर्षण बह रहा है। ऑफिस मीटिंग की आड़ में शुरू हुई बातचीत धीरे धीरे इमोशनल कनेक्शन में बदलती है, और फिर एक शाम रेड वाइन के गिलासों के बीच, उनके होंठों की मुलाकात सब बदल देती है। यह चुंबन सिर्फ़ एक पल नहीं, बल्कि उस आग का पहला विस्फोट था जो दोनों के अंदर लंबे समय से सोई हुई थी। अब दोनों जानते हैं कि यह रिश्ता प्रोफेशनल लाइनों से बहुत आगे निकल चुका है। यह सिर्फ़ सीक्रेट नहीं। यह अडिक्शन बन रहा है। पर क्या यह चाहत उन्हें जोड़ देगी, या एक ऐसे मोड़ पर ले जाएगी जहाँ जुनून और दर्द एक दूसरे की सीमाएँ तोड़ देंगे?

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: साइलेंट लफ्जो का सफर
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